आखिर क्यों COVID-19 भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए एक सुनहरा अवसर बना?
Wednesday September 16, 2020 at 5:14 pmवैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिमा हमेशा बरकरार रही है। चाहें कोई भी फील्ड हो भारत हमेशा किसी न किसी स्थान पर रहा है। ठीक इसी तरह वैश्विक फार्मा इंडस्ट्री में भारत अग्रणी देशों में से एक बन गया है। दरअसल, एक रिसर्च के मुताबिक भारत वॉल्यूम के मामले में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, और मूल्य के मामले में 10वें स्थान पर है।
क्या आप जानते हैं कि एक सींगनिफिकेन्ट रॉ मैटेरियल का आधार और एक स्किल्ड वर्कफोर्स की उपलब्धता ने भारत को एक इंटरनेशनल मैनुफैक्चरिंग हब के रूप में उभरने में काफी सक्षम बनाया है, जिसके चलते यह दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के शीर्ष निर्माताओं में से एक बन गया है। वहीं, भारत की वैश्विक आपूर्ति में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी भी है।
ऐसे में भारत का वैक्सीन मैनुफैक्चर ऐपीसेन्टर के रूप में उभर रहा है। वहीं, देश की टॉप फार्मा कंपनियां लगभग 150 देशों को बैसिक और अडवांस्ड वैक्सीन की आपूर्ति कर रही हैं। भारत में अत्याधुनिक मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं, जो सरकारी सहायता को खूब एन्जॉय करती हैं। वैसे, विश्व स्तर पर WHO-प्रीक्वालिफाइड वैक्सीन के निर्माण की सबसे ज़्यादा क्षमता है।
भारत में कुछ महत्वपूर्ण वैक्सीन मैनुफैक्चरिंग कम्पनीज हैं, जैसे- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, बायोकॉन,
शांता बायोटेक्निक्स और Zydus Cadila कोविड -19 वैक्सीन…
कोवीड जैसी खतरनाक बीमारी के खिलाफ एक तरफ जहां वैक्सीन की खोज अभी भी जारी है। वहीं, संक्रमित व्यक्ति की संख्या बढ़ती ही जा रही है। देखा जाए तो
वर्तमान में, 172 से अधिक अर्थव्यवस्थाएं COVAX में पार्टिसिपेशन की चर्चा कर रही हैं, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सुरक्षित और प्रभावी COVID-19 वैक्सीन को एक्विटअबल एक्सेस प्रदान करना है।
वैसे, वैक्सीन को डेवेलप करने के लिए हर देश एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। वहीं, भारतीय फार्मा कंपनियों ने वैश्विक खिलाड़ियों के साथ साझेदारी की है, जिनमें से कुछ के नाम ये हैं, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, यूके के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है। ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक बिलियन डोज़ का निर्माण करने के लिए काम कर रहा है, जिसे मंजूरी दे दी गई है। बता दें कि, यह चार अन्य वैक्सीन उम्मीदवारों पर भी काम कर रहा है, जिनमें से दो इन-हाउस हैं। वहीं, अन्य दो के लिए इंस्टिट्यूट ने बायो टेक्नोलॉजी कंपनियों नोवोवेक्स (मैरीलैंड में स्थित गैथर्सबर्ग) और कोडगेनिक्स (न्यूयॉर्क में स्थित फार्मिंगडेल) के साथ हाथ मिलाया है।
भारतीय फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल E ने Janssen Pharmaceutica, बेल्जियम के साथ साइन किया है। वहीं, इंडियन इममुनॉलोजिकल्स ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के साथ यूनिवर्सिटी के वैक्सीन के टेस्ट और मैनुफैक्चर के लिए काम कर रहा है।
कई अन्य कंपनियां, इंडिविजुअली या पार्टनरशिप में COVID-19 के खिलाफ वैक्सीन खोजने की दिशा में काम कर रही हैं। बता दें कि, ऐसा माना जा रहा है कि वैक्सीन की खोज का पहला कदम मैनुफैक्चर है, जो अफोर्डेबल है।
वहीं, इंडियन मैनुफॅक्टरर्स ने GMP स्टैंडर्ड्स को बनाए रखा है, और इन्हें मिडल और लौ-इनकम वाले देशों में सभी के लिए बड़ी मात्रा में लौ कॉस्ट वाली दवाओं का उत्पादन करने का पूर्व अनुभव है। दरअसल, पुराने कॉस्ट की तुलना से पता चलता है कि भारत सबसे महत्वपूर्ण वैक्सीन का निर्माण लगभग एक-पंद्रहवें स्थान वाली कॉस्ट से कर सकता है।
कुलमिलाकर, COVID-19 ने एक शानदार अवसर के रूप भारतीय फार्मा कंपनियों को प्रस्तुत किया है। अगर ये कंपनियां इस बीमारी के खिलाफ वैक्सीन बनाने में सक्षम रही हैं, तो यह एक इतिहास बन जाएगा।