For advertising Queries please call 9899152321 or email sales@medicaldarpan.com
For advertising Queries please call 9899152321 or email sales@medicaldarpan.com
For advertising Queries please call 9899152321 or email sales@medicaldarpan.com
For advertising Queries please call 9899152321 or email sales@medicaldarpan.com

कोरोना की वैक्सीन पहले अमेरिका भेजेगी फ्रांसीसी दवा कंपनी!

Monday May 18, 2020 at 11:09 am

एक इंटरव्यू में फ्रांस के दवा निर्माता कंपनी सैनोफी ने कहा है कि वह अपनी पहली वैक्सीन सबसे पहले अमेरिका को देगा। दरअसल, कुछ हफ्तों पहले एक अमेरिकी अखबार ने खुलासा किया था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इस कंपनी में शेयर है। शायद इसी वजह से सैनोफी ने सबसे पहले अमेरिका को अपनी कोरोना वैक्सीन देने की बात कही है।

सैनोफी कंपनी के सीईओ पॉल हडसन ने एक इंटरव्यू में ये बात कही। पॉल हडसन ने कहा कि अमेरिका ने कंपनी में काफी निवेश किया है, इसलिए उनका अधिकार बनता है कि वो हमारी कंपनी द्वारा बनाई जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन हासिल करें।

पॉल हडसन ने आगे चेतावनी भी दी कि यूरोप इस मामले में पीछे चल रहा है। यूरोप में हालात बहुत खराब हैं। अमेरिका ने फरवरी में ही सैनोफी में और निवेश किया था। साथ ही कंपनी की वैक्सीन के लिए प्री-ऑर्डर भी दिया था।

बता दें कि सैनोफी दुनिया की उन सबसे बड़ी कंपनियों में से है, जो इस समय कोरोना वैक्सीन के लिए काम कर रही है। सैनोफी ने अमेरिका के कहने पर अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के साथ डील किया है, ताकि दोनों कंपनियां मिलकर साल में 60 करोड़ वैक्सीन बना सकें।

वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने इस समय ऑपरेशन वार्प स्पीड चला रखा है, जिसके तहत अमेरिका कई दवा कंपनियों को कोरोना वैक्सीन के रिसर्च के लिए फंडिंग कर रही है। हर तरह से मदद दे रही है।

अमेरिका की बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी बार्डा (BARDA) ने सैनोफी को कोरोना वैक्सीन पर काम करने के लिए 30 मिलियन डॉलर यानी 226 करोड़ रुपए से ज्यादा दे चुकी है।

पहले से ही है सम्बंध…
बार्डा का सैनोफी के साथ बहुत पुराना रिश्ता है। अमेरिका ने पिछले साल दिसंबर में सैनोफी इंफ्लूएंजा की वैक्सीन विकसित करने के लिए 226 मिलियन डॉलर यानी 1705 करोड़ रुपए से ज्यादा दिए थे।
कुछ दिन पहले अमेरिका की एक वेबसाइट पर इस बात का खुलासा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप आखिर क्यों मलेरिया की इस दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वी के पीछे पड़े हैं। मीडिया संस्थान ने बताया है कि डोनाल्ड ट्रंप का इसमें निजी फायदा है।

उस वेबसाइट के अनुसार अगर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है, तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा। ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है। साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं।

वेबसाइट पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी को लेकर व्यक्तिगत फायदा है। कंपनी में ट्रंप का शेयर भी है। ये कंपनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से बाजार में बेचती है।

मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है। भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं।

हालांकि ये दवा एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से थोड़ी अलग दवा है। यह एक टेबलेट है, जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ के इलाज में किया जाता है, लेकिन इसे कोरोना से बचाव में इस्तेमाल किए जाने की बात भी सामने आई है।

इस दवा का खास असर सार्स-सीओवी-2 पर पड़ता है। यह वही वायरस है, जो कोविड-2 का कारण बनता है।यही कारण है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के टेबलेट्स कोरोना वायरस के मरीजों को दिए जा रहे हैं।